ख़ामोशियाँ … ! September 14 2014| 0 comments | Category : Poetry अब तो ख़ामोशियाँ गुनगुनाने लगी हैं , खुद ब ख़ुद चाहतें मुस्कुराने लगी हैं , किसको बोलूं मैं किससे छिपाऊँ इसे , ख़ुशबूएं अब हवाओं में आने लगी है !