…. क्यूँ याद करूँ ?
मैं कौन हूँ कहाँ से हूँ ,
ये बात मैं अब क्यूँ याद करूँ ?
जो गुज़र गये वो बिखर गये ,
वो जज़्बात मैं अब क्यूँ याद करूँ ?
तुझसे चाही बस तेरी नज़दीक़ियाँ ,
वो फ़रियाद मैं अब क्यूँ याद करूँ ?
जब भीगी थी आँसुओं से आँखें ये ,
वो बरसात मैं अब क्यूँ याद करूँ ?
तोहफ़ा तेरा था बस तेरी रूसवाई ,
वो सौग़ात मैं अब क्यूँ याद करूँ ?
अब ना तू है ना तेरी तनहाई ,
तेरी बात मैं अब क्यूँ याद करूँ ?
रवि ; दिल्ली : १९ अक्टूबर २०१३