216126_3970094545101_2042012935_n

सुधियों के पतझड़ में ,
यादों का सिमटना ,
कल्पना के खंडहर में ,
सपनों का संवरना !

क्या यही प्यार है ?

रवि ; रुड़की : अक्टूबर १९८१