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नहीं था सोचा अनजाने में ,
कभी ऐसा भी क्या होता है ,
बिन जाने बिन पहचाने भी ,
दिल क्या दिल में खोता है !

हर पल बीतता युग युग में ,
औ युग पल पल में होता है ,
साथ दिलों के बंधन में संग ,
बस एक ही सपना होता है !

कौन समझता इसका अर्थ ,
जब नयनों में सब होता है ,
एक एक पल की यादों को ,
मन जीवन पर्यंत संजोता है !

है प्रेम की अद्भुत परिभाषा ,
कभी ना एक पल खोता है ,
कभी हों पूरे या ना हों फिर ,
दिल हरदम सपने बोता है !!

रवि ; गुड़गांव : २२ जनवरी २०१०.