जिन आँसुओं को पानी समझा था तूने ,

मेरे दीद उनके हमेशा ही मेज़बान रहे !

तेरी सूरत और सीरत में नहीं मेल कोई ,
लोग इस बात से हमेशा ही परेशान रहे !

बस दुआ है आखिरी मेरी तेरे लिये ,
ना दिल तेरा तुझसे कभी बेईमान रहे !

उजड़ते हैं सपने बहुतों के यहाँ ,
ना ग़र उनका कोई बाग़बान रहे !

कुछ तो बात है तेरी इन आँखों में ,
यूंही नहीं बेवफ़ाई में भी हम क़ुर्बान रहे !

रवि ; दिल्ली : १५ नवम्बर २०१२