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कहा था उसने
बहता हूँ रगों में उसकी
खून की तरह मैं !

बहता हुआ खून
जमता नहीं कभी
पर जमाता है
विश्वास उसका !

और जोड़ता है
अतीत को आज से
भावना को बात से
प्रेम को साथ से !!

रवि ; गुडगाँव : १३ जून २००३