कशमक़श ! May 09 2013| 0 comments | Category : Poetry , Shayari वक़्त को अपने बदलना चाहता हूँ , ख़ुद ब ख़ुद मैं सम्भलना चाहता हूँ , चलूँ तनहा या तेरा इन्तज़ार करूँ , कशमक़श से निकलना चाहता हूँ । रवि ; दिल्ली : ९ मई २०१३