वक़्त को अपने बदलना चाहता हूँ ,
ख़ुद ब ख़ुद मैं सम्भलना चाहता हूँ ,
चलूँ तनहा या तेरा इन्तज़ार करूँ ,
कशमक़श से निकलना चाहता हूँ ।

रवि ; दिल्ली : ९ मई २०१३