कविता … आलोक जी के “कोई मौका ना छोड़ा” से प्रेरित September 30 2009| 0 comments | Category : Kavita , Poetry दुनिया हमसे हारी और अब सारे मित्र भी हारे , अब कविता भी हारी हमसे बस हम ही ना हारे, कहाँ से लायें श्रोता प्रतिदिन फिरते हैं मारे मारे, बस एक दिल ही है सुनता और मेरे कान बेचारे !!