इनायत !! ……… Inaayat !!
ये मैं नहीं कहता , पर वक़्त का दस्तूर है ;
दो शख्स भी नहीं हैं , एक जैसे इस जहां में !
हर दिन है यूँ बदलता , कुदरत के इशारे पर ;
ग़र बदले नहीं हैं दिल, तो ये इनायत है उसकी !
रवि ; अहमदाबाद : १० नवम्बर २०११
Ye main nahin kahta , par waqt ka dastoor hai ;
Do shaksh bhi nahin hain , ek jaise is jahaan mein !
Har din hai yun badalta , kudarat ke ishaare par ;
Gar badale nahin hain dil , to ye inayat hai uski !
Ravi ; Ahmedabad ; 10 November 2011