आशिक़ … !!
दुनिया में ये आशिक़ दिल को , समझाने किधर जाये ,
इधर जाये उधर जाये , या फिर यूँ ही मर जाये !
ख़ुदा जिसको बनाया था , है उसकी इन्तज़ारी बस ,
पल बीता बरस बीते , यूँ ही ना उमर जाये !
आँखों का वो मोती जो , दुनिया से छुपाया है ,
ऐसा ना हो टूटे दिल , और ये आँसू गिर जाये !
सपनों की अभी ख़ुशबू , जो बिखरी है इन आँखों में ,
डर है टूटे ना कोई तारा , कि सपना ही बिखर जाये !
तसव्वुर में तेरे दिल की , धड़कन सुन लगा है ये ,
साँसों की मेरी हस्ती , ना बस्ती से गुज़र जाये !
रवि ; दिल्ली : १२ जनवरी २०१४