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दुनिया में ये आशिक़ दिल को , समझाने किधर जाये ,

इधर जाये उधर जाये , या फिर यूँ ही मर जाये !

ख़ुदा जिसको बनाया था , है उसकी इन्तज़ारी बस ,

पल बीता बरस बीते , यूँ ही ना उमर जाये !

आँखों का वो मोती जो , दुनिया से छुपाया है ,

ऐसा ना हो टूटे दिल , और ये आँसू गिर जाये !

सपनों की अभी ख़ुशबू , जो बिखरी है इन आँखों में ,

डर है टूटे ना कोई तारा , कि सपना ही बिखर जाये !

तसव्वुर में तेरे दिल की , धड़कन सुन लगा है ये ,

साँसों की मेरी हस्ती , ना बस्ती से गुज़र जाये !

रवि ; दिल्ली : १२ जनवरी २०१४