ज़िन्दगी की दौड़ में , शख़्स वो गुज़र गया ,
बेख़ौफ़ वो ज़िन्दा रहा , डर गया तो मर गया !

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आदमी का जीना मरना , ज़िन्दगी का खेल है ,
ग़र ज़िन्दा है तो पास है , मर गया तो फ़ेल है !

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आदमी इस दुनिया में , अपनी कहानी कर गया ,
मौत पे उसकी अगर , आँखों में पानी भर गया !

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रवि ; दिल्ली : ५ अगस्त २०१३