आज तुम …. !
आज तुम हमको भुलाये बैठे हो ,
दिल का अफ़साना बनाये बैठे हो ,
जिन आँखों को चूमा था हमने ,
आज तुम उनको रूलाये बैठे हो !
आज तुम हमको भुलाये बैठे हो !
वक़्त की बाज़ी लगाये बैठे हो ,
रूह को अपनी सताये बैठे हो ,
खोके हसीं लम्हों की हँसी को ,
ख़ुद को दीवाना बनाये बैठे हो !
आज तुम हमको भुलाये बैठे हो !
नज़र को अपनी लुटाये बैठे हो ,
ज़मीर से अपने क़तराये बैठे हो ,
कैसे ढूंढेगा सुकूं तुम्हें दुनिया में ,
ख़ुद अपने को मिटाये बैठे हो !
आज तुम हमको भुलाये बैठे हो !!
रवि ; दिल्ली : २१ जनवरी २०१३