आज … !! October 21 2013| 0 comments | Category : Poetry , Shayari बासी लम्हों को ना ख़ुद को सताने दो , टूटे ख़्वाबों को ना नींद को उड़ाने दो , हक़ीक़त तुम्हारी आज बस और आज है , धड़कनों को आज खुल के मुस्कुराने दो ! रवि ; २१ अक्टूबर २०१३