आग़ September 29 2012| 0 comments | Category : Poetry , Shayari चिंगारियों से निकली क्या आग़ ये वही है जिसने जलाया दामन रक़ीबों का बार बार ! रवि ; ऍठलाण्ठा: २८ सितम्बर २०१२