आओ अँधेरे मिटायें !
आओ दिये हम जलायें !!
जीवन की इस डगर पे ,
दिलों में दिवाली जगायें !!

देश की अशिक्षा को
सत्य की अभिक्षा को
जीवन में फसादों को
ख़ुशी के अवसादों को
आओ हम मिल हटायें !

आओ अँधेरे मिटायें !
आओ दिये हम जलायें !!

बच्चों के रोज़गार पर
भीख की भरमार पर
गरिमा के उधार पर
राजनीतिक व्यापार पर
सब मिल रोक लगायें !

आओ अँधेरे मिटायें !
आओ दिये हम जलायें !!

भ्रूण के हत्यारों को
घूमते व्यभिचारों को
देह लिप्त व्यापारों को
काले उन करारों को
आओ सबक सिखायें !

आओ अँधेरे मिटायें !
आओ दिये हम जलायें !!

भ्रष्टाचार के कलंक को
रोज़ बढ़ते इस डंक को
हर तरफ घूसखोरी को
रोज़ बढ़ती हुई चोरी को
चलो सब मिल हटायें !

आओ अँधेरे मिटायें !
आओ दिये हम जलायें !!

धर्मों के बीच भेद को
मानवता पर खेद को
राजनीति की चाल को
बैर की इस मशाल को
आओ आज सब बुझायें !

आओ अँधेरे मिटायें !
आओ दिये हम जलायें !!

जब तक कोई भूखा रहे
भीख में कोई रूखा रहे
कोई बिन लिखा पढ़ा रहे
जब तक पीछे खड़ा रहे
तब तक ना थकान लायें !

आओ अँधेरे मिटायें !
आओ दिये हम जलायें !!

जब सबके पास शिक्षा हो
ना कोई मांगता भिक्षा हो
सबके पास कोई आधार हो
ना बुजुर्गिअत की मार हो
तभी असली खुशियाँ मनायें !

आओ अँधेरे मिटायें !
आओ दिये हम जलायें !!
जीवन की इस डगर पे ,
दिलों में दिवाली जगायें !!

रवि ; गुडगाँव : २६ अक्टूबर २०११