1920635_10202500239981583_1826478626_n

वो कैसे देख सकेंगे , सच्चाई मेरी आँखों की
झूठ का पर्दा उन्होंने , पलकों पे चढ़ाया है !

वो कैसे सुन सकेंगे , साफगोई मेरी बातों की
फरेब का जामा उन्होने , सीने को उढ़ाया है !

वो कैसे महसूस करेंगे , जुनून मेरी सांसों का
दिल को अपने उन्होंने , पत्थर से गढ़ाया है !

वो कैसे तड़पेंगे कभी भी , दूसरों के दर्द में
खुदगर्ज़ सबक उन्होंने , ख़ुद को खूब पढ़ाया है !

वो कैसे जानेंगे कभी ,कीमत वतन से वादे की
उन्होंने पैसे की कीमत को, वादे से बढ़ाया है !!

रवि ; अहमदाबाद : २६ अगस्त २०११ .

*****************************************

Wo kaise dekh sakenge , sachchaai meri ankho ki
Jhooth ka parda unhone , palkon pe chadhaya hai !

Wo kaise sun sakenge , safgoi meri baaton ki
Fareb ka jama unnhone , seene ko udhaaya hai !

Wo kaise mehsoos karenge , zunoon meri sanson ka
Dil ko apne unhone , patthar se gadhaaya hai !

Wo kaise tadpenge kabhi bhi , dusaron ke dard main
Khudgarz sabk unhone , khud ko khoob padhaaya hai !

Wo kaise janenge kabhi , kimat watan se waade ki
Unhone paise ki kimat ko , waade se badhaaya hai !!

Ravi ; Ahmedabad : 26 August 2011 ….