अहसास … ! February 09 2015| 0 comments | Category : Poetry जीता हूं ख़ुद से मैं , तो अब ख़ुद को पाया है , रंग पक्के इरादों का , मेरी आँखों में छाया है , जाना है मैने कि , परछाइयाँ सच्ची नहीं होतीं , दूर की रोशनी में होता , ख़ुद से बड़ा साया है !