अब तो आ जाओ तुम …… !!
जब भी कोई मंज़िल या कोई मुक़ाम आया ,
ज़ुबान पर मेरी बस तेरा ही इक नाम आया !
जब कभी फूल मिला राहों में पेड़ों के तले ,
यूँ लगा मुझको कि तेरा मुझे पैग़ाम आया !
ख़ुशबू आ जाती है ख़्वाबों में आने से तेरे ,
जो तू मुस्काये लगे सजदे का इनाम आया !
अब तो आ जाओ तुम ख़्वाबों से बाँहों में मेरी ,
दिल के मैख़ाने का अब आख़िरी ये जाम आया !
तारे लाखों खिलें रातों को आसमां में तो क्या ,
मगर इक चाँद के खिलने से ही आराम आया !