अँधेरा ! August 24 2012| 0 comments | Category : Kavita , Poetry मेरे जीवन के आँगन में एक निराश अँधेरा ना जाने कब हो सवेरा कोई यहाँ एक दीप जला दो !! रवि ; रुड़की : अक्टूबर १९८१