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मुझे याद तो नहीं
लेकिन मैं भुला भी नहीं सकता
वो अनगिनत दिन
वो अनगिनत रातें
वो सारी पुरानी बातें –
उसका ख़ुद ना खाना मुझे खिलाना
उसका ख़ुद ना सोना मुझे सुलाना
मेरी उन अधखुली आँखों में
नींद के लिए लोरियां सुनाना
मुझे प्यार से हिलाना डुलाना
थपथपाना और सीने से लगाना
मेरी ज़रा सी ख़ुशी पर खिलखिलाना
और मेरी ज़रा सी उफ़ पर आंसू बहाना
और ऐसे ही ना जाने –
कितने अनगिनत ममतामयी उपकार
और इन सारे अहसानों के पीछे
केवल एक नाम है
और वो है :
माँ !!

रवि ; रुड़की : १२ जनवरी १९८१