जुगनू आँखों में सजायें , तो ग़ज़ल होती है ,
दिया अश्कों से जलायें , तो ग़ज़ल होती है !
यक़ीं की धार हो और , हो प्यार का झरना ,
फिर अगर डूब भी जायें , तो ग़ज़ल होती है !
सुना है बेतकल्लुफ़ है तेरा , आईने से हुस्न ,
तू आईना मुझको बनाये , तो ग़ज़ल होती है !
तेरे ख़तों को जलाया था , जिस जगह हमने ,
कभी उधर से गुज़र जायें , तो ग़ज़ल होती है !
ख़ुशबू आती है इक हवाओं में , तेरे आने से ,
मेरी साँसें भी महक जायें , तो ग़ज़ल होती है !
अपने पहलू में तुझे पाऊँ मैं , हर रात यहाँ ,
ख़ुदा से तू भी ये ही चाहे , तो ग़ज़ल होती है !

रवि ; दिल्ली : ७ अक्टूबर २०१३