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तेरे ख़्वाबों की महक , साँस मेरे , महकाती है ,
मेरी धड़कन भी , तेरा नाम बस , सुनाती है !

कैसे भूलूँ तुझे , और तेरी , मुहब्बत का सिला ,
लम्हा लम्हा मुझे , तेरी याद ही , बुलाती है !

तेरी ख़ुशबू से , भीगे होंठ थे , मेरे भी कभी ,
तुझको छूने की कशिश , आज भी , सताती है !

वो तेरी आँखों के , कोने से , तेरी पहली नज़र ,
रोज़ ही दिल में , उस लम्हे को , जगाती है !

तुझसे रिश्ता मेरा , कुछ ज़िन्दगी में , ऐसा है ,
जैसे छू के हवा , साँसों को , बहक जाती है !

रवि ; दिल्ली : ३० अक्टूबर २०१३