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दिल मेरा करता है , कभी तुझको मैं सजाऊँ ,
कभी बिंदिया कभी , काजल तेरा हो जाऊँ !

कभी चूड़ी की खनक , मैं तेरी बन जाऊँ ,
तो कभी लाली बन , तेरे होठों का हो जाऊँ !

कभी पायल बन के , छम छम मैं रिझाऊँ ,
तो कभी बन के सिंन्दूर , माँग में खो जाऊँ !

बन के मेहंदी कभी , तुझसे मैं लिपट जाऊँ ,
तो कभी हार बन , तेरे सीने में सो जाऊँ !

बन के कानों की बाली , मैं तेरी रिम झिम गाऊँ ,
तो कभी नथिनी बन , तेरी साँसों का हो जाऊँ !

रवि ; दिल्ली : ६ अगस्त २०१३