हादसे …… Haadse
क्यूँ घर से निकलते मैं रोज़ ही डरता हूँ ,
क्यूँ ईश्वर खुदा से रोज़ दुआ करता हूँ ,
क्यूँ अखबार की सुर्ख़ियों पर ठहरता हूँ ,
क्यूंकि हादसों से मरों में मैं भी मरता हूँ !
क्यूँ उन रोती तस्वीरों पर मैं बिफरता हूँ ,
क्यूँ बीबी बच्चों की चीख पर बिखरता हूँ ,
क्यूँ उन आँखों की बेबसी से मैं डरता हूँ ,
क्यूंकि उनकी आँखों में मैं भी मरता हूँ !
क्यूँ उम्मीद का इन्द्रधनुष नहीं भरता हूँ ,
क्यूँ लहू के रंग से मैं बेइन्तहा डरता हूँ ,
क्यूँ सड़क पे बिखरा खून देख ठहरता हूँ ,
क्यूंकि खून की बूंदों में मैं भी मरता हूँ !
क्यूँ मैं रोज़ रोज़ ही रोया करता हूँ ,
क्यूँ इन आंसुओं से मुंह धोया करता हूँ ,
क्यूँ मैं रोज़ दफ़न खुद को ही करता हूँ ,
क्यूंकि हादसों में रोज़ मैं ही मरता हूँ !!
रवि ; अहमदाबाद १३ जुलाई २०११
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Kyun ghar se nikalate main roz hee darata hun ,
Kyun bhagwaan Khuda se roz dua karata hun ,
Kyun akhbaar ki surkhiyon par thahrata hun ,
kyunki haadse se maron mein main bhi marta hun !
Kyun un roti tasveeron par main bifarata hun ,
kyun bibi bachchhon ki cheekh par bikharata hun ,
kyun un ankhon ki bebasi se main darta hun ,
kyunki unki ankhon mein main bhi marta hun !
Kyun ummeed ke indradhanush nahin bharta hun ,
Kyun lahoo ke rang se main itna darta hun ,
Kyun sadak pe khoon dekh main thaharata hun ,
Kyunki khoon ki bundon mein main bhi marta hun !
Kyun main roz roz hee roya karta hun ,
Kyun in ansuon se munh dhoya karta hun ,
Kyun main roz dafan khud ko hee karta hun ,
Kyunki haadson mein roz main hee marta hun !!
Ravi ; 13 July 2011