हक़ीक़त … !! September 22 2014| 0 comments | Category : Poetry रात के घरौंदे में देर तक खेलने के बाद थककर सोयी वो चाँदनी जब सुबह की खिड़की से बाहर झांकती है तो यक़ीं की चादर ख़ुद ब ख़ुद कहीं दूर उड़ जाती है और वो उघड़न ये पैग़ाम पहुँचाती है कि गयी रात कोई हक़ीक़त नहीं बस एक सपना थी !