इन्द्रधनुष !
जीवन पथ पर जीवन भर तक , साथ रहोगे तुम मेरे !
तभी तो कहता हूँ तुमसे मैं , कि तुम ही हो बस तुम मेरे !
जब भी आएंगे जीवन में , सर्द हवाएं और अँधेरे ,
तुम पाओगी अपने संग में , मेरी बाँहों के घेरे !
तेरी आँखों में देखे हैं , सपने मैंने बहुतेरे ,
रंग बिरंगे इन्द्रधनुष से , चेहरे हैं तेरे मेरे !
देखा है तुमको जब से , मुझे इन सपनों से मिलना है ,
कलियाँ हैं जितनी दिल में , उन सबको अब खिलना है !
आँखों के कोनों से निकले , पानी को ना बहना है ,
जीवन में जो भी दुखकर है ,वो तुमको ना सहना है !
होठों के उन अंगारों को , तुमको अब ना पीना है ,
तुमको तो मेरी बाँहों में ,जी भर के अब जीना है !!
जीवन पथ पर जीवन भर तक , साथ रहोगे तुम मेरे !
तभी तो कहता हूँ तुमसे मैं , कि तुम ही हो बस तुम मेरे !!
रवि ; अहमदाबाद : ७ जुलाई २०११