246984_3953520570762_1033746071_n

दिल ही दिल में किसी पे मैं मरता रहा ,
बस तन्हाइयों में ही आहें मैं भरता रहा ,

इज़हारे इश्क ना कर सका उससे कभी ,
वो इंतज़ार ही तो था जो मैं करता रहा !

रवि ; रुड़की : जनवरी 1981