इंतज़ार ! August 22 2012| 0 comments | Category : Poetry , Shayari दिल ही दिल में किसी पे मैं मरता रहा , बस तन्हाइयों में ही आहें मैं भरता रहा , इज़हारे इश्क ना कर सका उससे कभी , वो इंतज़ार ही तो था जो मैं करता रहा ! रवि ; रुड़की : जनवरी 1981