टूटते तारों को आँखों में बसाया है ,
उनकी यादों को साँसों में छुपाया है ,
कभी समंदर को समेटा था बाहों में ,
आज ख़ुद उसे साहिल पे लुटाया है !

रवि ; दिल्ली : ८ मई २०१३